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सामान्‍य जानकारी:

यह अध्याय अय्यूब के भाषण को जारी रखता है, जो १२: १ में शुरू हुआ था। अय्यूब परमेंश्‍वर से बात कर रहा है।

मनुष्य जो स्त्री से उत्‍पन्‍न होता है

यह उन सभी लोगों को दर्शाता है, सभी पुरुषों और महिलाओं कों जो इस दुनिया में पैदा हुए हैं।

उसके दिन थोड़े

" बहुत कम समय जीतें है"

दुःख भरे है

“बहुत सारे कष्‍ट होते हैं।”

वह फूल के समान खिलता, फिर तोड़ा जाता है

फूल के जीवन की तरह, एक व्यक्ति का जीवन छोटा है और वह आसानी से मारा जाता है।

वह छाया की रीति पर ढल जाता

एक व्यक्ति का जीवन साया के समान है जो पल भर में अलोप हो जाती हैं।

फिर क्या तू ऐसे पर दृष्टि लगाता है?

“तुम इन चीजों पर इतना ध्यान नहीं देते तो कृपया मुझ पर भी इतना ध्यान न दें"।

दृष्टि लगाता

"ध्यान दें।"

क्या तू मुझे अपने साथ कचहरी में घसीटता है?

"लेकिन तुं मुझे जाचता हैं"