hi_tn/job/13/03.md

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मेरी अभिलाषा परमेश्‍वर से वाद-विवाद करने की है।

अय्यूब के दोस्त उसे आंक रहे हैं, लेकिन वे सच नहीं बोल रहे। अय्यूब अपनी शिकायत के बारे में केवल परमेंश्‍वर से ही बहस करेगा।

तुम लोग झूठी बात के गढ़नेवाले हो।

“तुम सच को झुठ से छुपाते हो”।

तुम सबके सब निकम्मे वैद्य हो।

“तुम सब के सब ऐसे वैद्य हो जो जानते ही नही के लोगों को कैसे चंगा करना हैं।

तुम बिल्कुल चुप रहते।

"चुप रहो" या "बात करना बंद करो।"

और इससे तुम बुद्धिमान ठहरते।

"यदि तुम बात करना बंद कर देते हैं तो तुम बुद्धिमान ठहरते"