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क्या तू परमेश्‍वर का गूढ़ भेद पा सकता है? और क्या तू सर्वशक्तिमान का मर्म पूरी रीति से जाँच सकता है?

"तुं उसे खोज कर परमेंश्‍वर को नहीं समझ सकता, और ना सर्वशक्तिमान को कभी भी पूरी तरह से समझ पाएगा!"

वह

"परमेंश्‍वर को समझने के लिए"

आकाश सा ऊँचा है...अधोलोक से गहरा है

"वहां पहुंचना उतना ही मुशकील है जितना स्वर्ग में उच्चतम स्थानों पे... अधोलोक में सबसे गहरी जगहों की तुलना में अधिक दुर है"

तू क्या कर सकता है?

“तू कुछ नही कर सकता”।

तू कहाँ समझ सकता है?

“तू पुरी तरह से परमेश्‍वर को नही समझ सकता”।

उसकी माप।

परमेश्‍वर की बुद्धि की महानता।

पृथ्वी से भी लम्बी...और समुद्र से चौड़ी है

परमेश्‍वर की महानता या ज्ञान की बात की जाती है जैसे कि वह दूरी में मापी जा सकती है।