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यदि मैं कहूँ, ‘विलाप करना भूल जाऊँगा

स्पष्ट रुप मे शिकायत के बरे मे बताया गया है कि “मै शिकायत करना बंद कर दूँगा”।

मैं कहूँ, ‘विलाप

“मेरी शिकायते परमेश्‍वर के खिलाफ है”।

उदासी छोड़कर अपना मन प्रफुल्लित कर लूँगा,

अय्यूब के उदास चेहरे की बात की गयी है कि “मै दुख की मुस्कान के साथ मर जाऊँगा”।

मैं तो जानता हूँ, कि तू मुझे निर्दोष न ठहराएगा

आयत 28 और 29 अगर अय्यूब वही करता है जो वह आयत 27 में कहता है, “तो मैं अपने सभी दुखों से डर जाऊँगा”।

मैं अपने सब दुःखों

दुख को इस प्रकार कहा गया है कि “क्या मुझे चोट पहुँचेगी’‘।

मैं तो दोषी ठहरूँगा

स्पष्ट रुप मे कहा गया है कि “परमेश्‍वर ने मुजे दोषी ठहराया।

फिर व्यर्थ क्यों परिश्रम करूँ?

स्पष्ट रूप मे कहा जा सकता है कि अय्यूब परमेश्‍वर का ध्यान अपनी ओर लगाने का अब कोई मतलब नही है।