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मैं निश्चय जानता हूँ, कि बात ऐसी ही है

“मै जानता हूँ कि यह जो कह रहा है वह सब सच है”।

ऐसी ही है

यह शब्द “वे” बिल्दद क्या कहता है।

मनुष्य परमेश्‍वर की दृष्टि में कैसे धर्मी ठहर सकता है*?

केसे परमेश्‍वर से पहले कोई निर्षोश कर सकता है

लड़ना

“भहस”।

तो भी मनुष्य हजार बातों में से एक का भी उत्तर न दे सकेगा

इसका अर्थ यह है कि परमेश्‍वर ने मेरे प्रश्‍नो का उत्र क्यो नही दिया।

हजार बातों में से

"1,000 बार”।