hi_tn/job/08/16.md

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सामानय जानकारी

आयत 16-17 में, लेखक समानता का उपयोग करने के लिए कहता है, एक ही विचार दो अलग अलग बयानों का उपयोग करने के लिए परमेश्‍वर की पथरीली, अस्थायी नींव तस्वीर के बारे में दर्शाया गया है।

वह धूप पाकर हरा भरा हो जाता है, और उसकी डालियाँ बगीचे में चारों ओर फैलती है

यहाँ बिल्दाद उस पौधे की तुलना करता हुआ कहता है वह पौधे पहले फलते और फुलते है और फिर जिन्दा हो जाते है।

उसकी जड़ कंकड़ों के ढेर में लिपटी हुई रहती है

भक्तिहीन व्यक्ति की तुलना एक ऐसे पौधे से की जाती है, जिसे अपनी चट्टानी नींव से हटादिए जाने पर, कहीं और पहचानने योग्य नहीं है क्योंकि यह किसी भी उपजाऊ स्थान में फल-फूल नहीं सकता है। "अगर वह अपने स्थान से उखाड़ा जाता है, यह उसे यह कह इनकार कर देंगे, 'मैं तुम्हें कभी नहीं देखा है।

वह पत्थर के स्थान को देख लेता है

“वे चट्टानो के बीच मिट्टी के लिए है”।

जब वह अपने स्थान पर से नाश किया जाए, तब वह स्थान उससे यह कहकर मुँह मोड़ लेगा, ‘मैंने उसे कभी देखा ही नहीं

अगर वह अपनी जगह से उकाखा जाता तो वह उसे यह कहकर अस्वीकार कर देगे कि मेने तो तुम्हे कभी देखा ही नही।

वह स्थान उससे यह कहकर मुँह मोड़ लेगा

वह लोग उस स्थान पर उसका पीछा कर रहे थे।

वह स्थान

“पत्थरो वाला स्थान”।