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यही मेरी शान्ति का कारण

यह अभी भी मेरी सांत्वना हो सकता है "या" यह मुझे दिलासा दिला सकता है "

वरन् भारी पीड़ा में भी मैं इस कारण से उछल पड़ता

मै बहुत दर्द मे हूँ फिर भी खुशी से छलाग मार रहा हूँ।

उछल पड़ता

“आन्‍ंदित”।

इन्कार नहीं किया

“कम नही करता”।

मैंने उस पवित्र के वचनों का कभी इन्कार नहीं किया

“कि मै परमेश्‍वर का अपमान नही करूगा”।

मेरा अन्त ही क्या होगा, कि मैं धीरज धरूँ?

आय्यूब यह सवाल करते हुए कहता है कि “अब मुझ मे जीने के लिए कोई ताकत नही है और मेरे पास हिम्मत रखने का कोई कारण नही है”।