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उजियाला उस पुरुष को क्यों मिलता है जिसका मार्ग छिपा है, जिसके चारों ओर परमेश्‍वर ने घेरा बाँध दिया है?

परमेश्‍वर को एक आदमी को जीवन नहीं देना चाहिए और फिर उसका भविष्य छीन लेना चाहिए और उसे सीमित करना चाहिए। "

उजियाला उस पुरुष को क्यों मिलता है

यहाँ रोश्‍नी जीवन को दर्शाति है कि “परमेश्‍वर क्यो एक व्यक्ति के जीवित रखता है“।

जिसका मार्ग छिपा है

यहाँ आय्यूब अपने भविष्य के बारे मे बात करता है कि परमेश्‍वर ने उसके भविष्य की बाते छुपा ली थी।

जिसके चारों ओर परमेश्‍वर ने घेरा बाँध दिया है

यहाँ मुश्‍किलो और कठिनाईयो की बात की जा रही है कि

मुझे तो रोटी खाने के बदले लम्बी-लम्बी साँसें आती हैं, और मेरा विलाप धारा के समान बहता रहता है।

अय्यूब अपनी पीड़ा को दो तरह से व्यक्त करता है।

मुझे तो रोटी खाने के बदले लम्बी-लम्बी साँसें आती हैं,

"खाने के बदले, मैं शोक व्यक्त करता हूँ"।

मेरा विलाप धारा के समान बहता रहता है।

दुख जैसे नैतिक गुणों और भावनाओं को अक्सर पानी में बहहने की बात करती है।