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564 B

मन के ज्ञाता, जो बदला तू उनसे लेगा।

अत; कौन जानता है कि लोग क्‍या सोचते है और क्‍या चाहते है।

दरिद्र जन के प्राण को कुकर्मियों।

अत; “पीड़त लोगो को बचाओ”

कुकर्मियों के हाथ से बचाता है।

अत; “कुकर्मियों की शाक्‍ति से“