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संकट के दिन।

“दिन” परमेश्‍वर के निर्णय लेने के लिए समय के विस्तार का वर्णन करता है। "विपत्ति के समय"।

मेरी आशा टूटने न दे, मेरे सतानेवालों ही की आशा टूटे।

“मेरा पीछा करने वालो पर शर्मंदगी लाओ लेकिन मुझ पर शर्मंदगी मत लाओ।“

उन्हीं को विस्मित कर; परन्तु मुझे निराशा से बचा।

इस वाक्यां का अर्थ एक ही बात पर जोर देता है “उन्हें बहुत डराओ , लेकिन मुझे मत डराओ

उन पर विपत्ति डाल और उनको चकनाचूर कर दे।

"उन्हें पूरी तरह से नाश कर दो"।