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मन तो सब वस्तुओं से धोखा देनेवाला होता है।

यहां "मन" शब्द लोगों के दिमाग और विचारों को दर्शाता है। " मनुष्य का मन अधिक धोखेबाज है।

उसका भेद कौन समझ सकता है ?

“कोई भी इसे समझ नही सकता है।“

हृदय को जाँचता हूँ ।

“ जो लोगो की इच्‍छाओ को जानता है।“

उसकी चाल-चलन के अनुसार।

यहां एक व्‍यक्‍ति के व्‍यवहार के बारे में इस तरह कहा गया है जेसे कि वे रास्‍ते थे जिन पर वह आदतन चलता है।

उसके कामों का फल दूँ।

“ उसने क्‍या किया है।“

जो दूसरी चिड़िया के दिए हुए अण्डों को सेती है......,वह उस धन को छोड़ जाता है।

एक पक्षी की अमानता जो दूसरे पक्षी के अंडो के घृणा करती है एक अमीर आदमी का चित्रण करने के लिए होती है जो दूसरों को लूटकर अपना पैसा बनाता है।

उसकी आधी आयु में ही।

“जब वह अपनी आधी जिंदगी जी चुका होगा”

वह उस धन को छोड़ जाता है,

“वह अपने धन को कम पाऐगा”।

अन्त में।

“उनके जीवन के अंत मे।“

वह मूर्ख ही ठहरता है।

“उसको मूर्ख दिखाया जाएगा।“