hi_tn/jer/07/19.md

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वे मुझी को क्रोध दिलाते हैं?.,.............,वे अपने ही को उदास कर रहे।

“वे सच मे मुझे परेशान कर रहे है?,........ वे परेशान कर रहे हैं।”

क्या वे मुझी को क्रोध दिलाते हैं?

“वे वास्तव में मुझे परेशान नहीं कर रहे हैं।“

वे अपने ही को नहीं जिससे उनके मुँह पर उदासी छाए?

“वे अपने शर्मनाक व्यवहार से खुद को परेशान करते हैं।“

देख।

“ध्यान से सुनें क्योंकि यह महत्‍वपूर्न है।“

मेरे कोप की आग भड़कने पर है।

“मैं इस जगह के लोगों को सजा दूंगा।“

क्रोध और कोप।

इस शब्दों का अर्थ मूल रूप से एक ही बात है और उसके क्रोध की मात्रा पर जोर देना है।

वह नित्य जलती रहेगी।

यह" शब्द " यहोवा के क्रोध को दर्शाता है।

कभी न बुझेगी।”

“जवाला कभी नही रुकेगी”