hi_tn/jer/07/16.md

1007 B

“इस प्रजा के लिये तू प्रार्थना मत कर, न इन लोगों के लिये ऊँचे स्वर से पुकार न मुझसे विनती कर।

“ये चार वाक्‍यांश एक ही बात कहते है। “इन लोगो को आशीर्वाद देने के लिए मुझसे प्राथना मत करो।”

न इन लोगों के लिये ऊँचे स्वर से पुकार,।

“उदासी मे मत चिल्‍लायो।“

“इस के लिये

“उनके लाभ के लिए “या उनके रूची मे।“

न मुझसे विनती कर।

“मुझसे मत पुश।“

मुझे क्रोधित करने के लिए।

“मुझे गुस्सा दिलाएगा।“