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जब तक वे सोच विचार कर ही रहे थे…एहूद भाग निकला

यह स्प‍ष्ट रूप से कहा जा सकता है कि दासदास अभी भी ऊपर वाले कमरे में इंतजार कर रहे है। … कि ऐहूद बच गया है।

सेइरे

यह एक शहर का नाम है।

वहाँ पहुँचकर उसने

यह सपष्ट किया गया है कि “जब वह सिरहा के पास पहुँचे”।