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हमारा पिता अब्राहम...क्या वह कर्मों से धार्मिक न ठहरा था?

याकूब द्वारा यह प्रभावोत्पादक प्रश्न उस मूर्ख मनुष्य के विवाद के प्रति उत्तर है। क्योंकि वह स्वीकार नहीं करता है कि विश्वास और कर्म साथ-साथ हैं। “हमारा पिता अब्राहम निश्चय ही कर्मों द्वारा न्यायोचित ठहराया”

तूने देख लिया कि विश्वास ने

“तूने” एक वचन है जो उस काल्पनिक मनुष्य के लिए है, तथापि याकूब इस एक काल्पनिक मनुष्य के माध्यम से सब पाठकों से कह रहा है।

तूने देखा कि विश्वास

“देख लिया” एक लाक्षणिक उपयोग है जिसका अनुवाद हो सकता है, “समझ लिया”

कर्मों से विश्वास सिद्ध हुआ

“उसके कर्म ने विश्वास को पूर्ण किया”

और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ।

इस कर्मवाच्य वाक्य का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “और पवित्र शास्त्र का वचन पूरा हुआ।”

यह उसके लिए धर्म गिना गया।

यह उसके लिए धर्म गिना गया। -"परमेश्वर ने उसके विश्वास को धर्मनिष्ठा गिना"

इस प्रकार तुमने देख लिया कि मनुष्य....कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।

इस प्रकार तुमने देख लिया कि मनुष्य....कर्मों से भी धर्मी ठहरता है। याकूब अब फिर से अपने पाठकों को बहुवचन “तुम” द्वारा संबोधित कर रहा है।

मनुष्य....कर्मों से ही धर्मी ठहरता है।

“कर्म और विश्वास मनुष्य को धर्मी ठहराते हैं।”