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2.3 KiB

वचन पर चलने वाले

“परमेश्वर के वचन के अनुसार आचरण रखो” या “परमेश्वर के वचन का पालन करो।”

अपने आप को धोखा देते हैं।

“स्वयं को धोखा देते” या “मूर्ख बनते हैं।”

जो कोई वचन का सुनने वाला हो और उस पर चलने वाला न हो तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुँह दर्पण में देखता है।

याकूब परमेश्वर के वचन के श्रोता की तुलना दर्पण में चेहरा देखने वाले से करता है। जिस प्रकार दर्पण में चेहरा देखकर मनुष्य अतिशीघ्र अपने चेहरे को भूल जाता है उसी प्रकार वचन का आचरण नहीं करने वाला है।

अपने आप को देखकर...तुरन्त भूल जाता है।

मनुष्य अपना चेहरा दर्पण में देखता है और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा दिखता है वैसा ही वह मनुष्य है जो परमेश्वर का वचन सुनता है और भूल जाता है कि उसने क्या सुना।

स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था

“विधान सिद्ध है तो स्वतंत्रता प्रदान करता है।”

सुनकर भूलता नहीं

“सुनना और भूल जाना”

आशीष पायेगा

इसका कतृवाच्य अनुवाद भी किया जा सकता है, “परमेश्वर उस मनुष्य को जो विधान का पालन करता है आशीषित करेगा।”