hi_tn/isa/56/04.md

366 B

“मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर

“मेरे भवन की दीवारो के अंदर।”

वह कभी न मिटाया जाएगा।

“जिसका कोई अंत नही”, “जो कभी बूलाया नही जाऐगा।”