hi_tn/isa/40/15.md

1.2 KiB

देखो...देखो

ये शब्द निम्न प्रकार से जोर डालते हैं।

जातियाँ तो डोल की एक बूंद या पलड़ों पर की धूल के तुल्य ठहरीं

नबी ने राष्ट्रों की तुलना पानी की एक बूंद और धूल से की है, ताकि वे इस बात पर जोर दे सकें कि वे यहोवा के प्रति कितने छोटे और महत्वहीन हैं।

डोल की एक बूंद

“पानी की एक बूंद जो बालटी में गिरती है”

या पलड़ों पर की धूल के तुल्य ठहरीं

“और यहोवा उन्हें तराजू पर धूल मानते हैं"

वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं।

“यहोवा उन्‍हे कुछ नही मानते“