hi_tn/isa/38/14.md

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सामान्‍य जानकारी

हिजकिय्‍याह अपनी लिखित प्रार्थना में जारी है।

मैं सूपाबेने या सारस के समान च्यूं-च्यूं करता, मैं पिंडुक के समान विलाप करता हूँ

“मेरा चिलाना दर्दभरा है; चिड़ीयो की च्‍यूं-चयूं और कबूतर की आवाज के समान”

मेरी आँखें

“मेरी आँखें” यह हिजकिय्‍याह के कुछ ढूँढने को प्रकट करती हैं”।

ऊपर देखते-देखते

“आसमान से आने वाली मदद के इन्‍तजार में”

मुझ पर अंधेर हो रहा है

“मेरी बिमारी मुझे निराश कर रही है”

मैं क्या कहूँ

“मेरे पास कुछ कहने को रहा नही”

मैं धीरे-धीरे चलता रहूँगा।

“यहां पे “चलना” जीने को प्रकट करता है। “मैं झुकना पसंद करूँगा”

मैं जीवन भर

“मेरे जीवन के बाकी बचे हूए दिन”

मैं जीवन भर कड़वाहट के साथ

“क्‍योकि मैं बहुत ऊदास हूँ”