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सामान्य जानकारी
यह आयतें परमेश्वर के लोगों के लिए शानदार भविष्य का वर्णन शुरू करती हैं।
तब अंधों की आँखें खोली जाएँगी
"अंधे लोग देखेंगे“
बहरो के कान भी खोले जाएँगे
“बहरे लोग सुनेगे”
तब लँगड़ा हिरन की सी चौकड़ियाँ भरेगा
“लँगड़ा आदमी ऊँची छलांग लगाऐगा”
गूँगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।
यह वाक्यांश जो लोग बोल नही सकते उनको दर्शाता है और उनकी चंगाई पर जोर देता है। “गूँगे लोग गांऐगे”
जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे
“सोते जंगल मे बहने लगेगीं”
मृगतृष्णा ताल बन जाएगी
"जलती हुई रेत में तालाब दिखाई देगा"
सूखी भूमि
यहां पर सूखी धरती को प्यास बताया गया है। “सूखी भूमि”
सूखी भूमि में सोते फूटेंगे;
“सूखी धरती पर पानी के सोते दिखाई देंगे”
सियार
जंगली कुत्ते
नरकट और सरकण्डे होंगे।
“यह पौधे नमी वाली भूमि में बड़ते है”