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सामान्‍य जानकारी

यहौवा कविता के रूप में कह रहा है।

पृथ्वी भी, और जो कुछ उसमें है, जगत और जो कुछ उसमें उत्‍पन्‍न होता है

“धरती के उपर हर स्‍थान में, हर किसी को सुनना चाहीऐ कि मैं क्‍या कह रहा हूँ”

जो कुछ उसमें उत्‍पन्‍न होता है

“संसार, और इसमे से आने वाले हर किसी को यह सुनना जरूरी है”

उसने उनको सत्यानाश होने, और संहार होने को छोड़ दिया है।

“वह उनका पूरी तरह नाश कर देगा, वह उनको मरने के लिऐ छोड़ देगा