hi_tn/isa/33/23.md

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तेरी रस्सियाँ ढीली हो गईं, वे मस्तूल की जड़ को दृढ़ न रख सकीं*, और न पाल को तान सकीं

“तुमने रस्‍सियो को ढीली छोड़ रखा था जो कि पाल को सहारा देती थी पाल अब उड़ नही रही”

मस्तूल

“एक लंबा खंबा जो के पाल को सहारा देता है“

पाल

“एक बड़ा खुला हुआ कपड़ा जिसके साथ हवा आने से कशती आगे बड़ती है”

तब बड़ी लूट छीनकर बाँटी गई,

“जब वह खजाने को बाँटेगे”

लँगड़े

“वह लोग जो लँगड़े है”

और जो लोग उसमें बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा।

“यहोवा वहा रहने वाले लोगो के पाप क्षमा कर देगा”