hi_tn/isa/33/09.md

987 B

पृथ्वी विलाप करती और मुर्झा गई है;

"भूमि सूख गई है और इसके पौधे मुरझा गये हैं"

कुम्हला गया और वह मुर्झा गया है;

"लेबनान के पेड़ मुरझा जाते हैं और सड़ जाते हैं

शारोन...बाशान...कर्मेल

“इन स्‍थानो में बहुट से पेड़ और पौधे हौते थे”

शारोन मरूभूमि के समान हो गया;

"शेरोन रेगिस्तान के मैदान जैसा सूखा है"

बाशान और कर्मेल में पतझड़ हो रहा है।

बाशान और कर्मेल के पेड़ो पर अब कोई भी पता नही है