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देख
यह शब्द लोगो के ध्यान को खीचने के लिए है। “सुनो”
शूरवीर
“दूत”
संधि के दूत बिलख-बिलख कर रो रहे हैं।
"संधि के दूत शांति की उम्मीद करते हैं लेकिन वे सफल नहीं होते हैं और इसलिए वे फूट-फूट कर रोते हैं
राजमार्ग सुनसान पड़े हैं, उन पर यात्री अब नहीं चलते।
“अब लोग राज मार्ग पर नही चलते”
उसने वाचा को टाल दिया, नगरों को तुच्छ जाना, उसने मनुष्य को कुछ न समझा।
“"लोग उन वाचाओं को तोड़ते हैं जो उन्होंने बनाई हैं, लोग गवाहों की गवाही को अनदेखा करते हैं, और लोग एक दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं"”