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884 B
884 B
उठकर
“खड़े होकर” या “ध्यान दो”
सुखी
“सूरक्षित” या “निशचिंत”
मेरे वचन
यशायाह अपने आप को दर्शाता है अपनी आवाज से जोर दिलाने के लिए कि उसने क्या कहा। “मैं बोला”
तुम विकल हो जाओगी;
“तुम्हें खुद पे विशवास नही रहेगा”
तोड़ने को दाखें न होंगी
“दाख की कटाई के लिए दाखें ही ना होगी”
न किसी भाँति के फल हाथ लगेंगे।
“फसल काटने का समय नही आऐगा”