hi_tn/isa/29/16.md

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तुम्हारी कैसी उलटी समझ है

तुम चीजो को जैसा होना चाहीऐ था उसके उलट करते हो” या “तुम सच्‍चाई को बिगाड़ते हो”

क्या बनाई हुई वस्तु अपने कर्ता के विषय कहे “उसने मुझे नहीं बनाया क्या बनाई हुई वस्तु अपने कर्ता के विषय कहे “उसने मुझे नहीं बनाया...वह कुछ समझ नहीं रखता?

“क्या तुम्हें मुझे अपना करता समझना चाहीऐ, कुम्हार कि बजाऐ मीट्टी के समान? जे ऐसे है जैसे कि कुम्हार ने कुछ बनाया और वह कुम्हार के बारे मे कहता था, “उसने मुझे नही बनाया” या “उसने समझा नही”

वह कुछ समझ नहीं रखता?...“वह कुछ समझ नहीं रखता?”

“जाहिर है कि कुम्हार को मिट्टी के समान ना समझा जाऐ”...वह समझता नही है।”