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ये भी

“परन्‍तु अगूवे भी”

याजक और नबी

“याजक और नबी“

दाखमधु के कारण डगमगाते और मदिरा से लड़खड़ाते हैं;

इन दोनो वाक्‍यांशो का एक ही अर्थ है कि याजक और नबी अपना काम नही कर सकते क्‍योकि वह मतवाले है। “इधर-उधर डगमगाते है क्‍योकि वह मतवाले है”

दाखमधु ने उनको भुला दिया है,

“दाखमधु ने उनको भ्रम में ढाल दिया है।”

दर्शन पाते हुए भटके जाते, और न्याय में भूल करते हैं।

परमेश्‍वर जो दर्शन उनको देता है उसको समझने के लिए उन्‍होने बहुत पी रखी है या एक अच्‍छा फैसला लेने के लिए।