hi_tn/isa/10/05.md

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हाय

यह शब्द अश्शूर के खिलाफ एक गंभीर सजा के बारे में परमेश्‍वर की घोषणा की शुरुआत का प्रतीक है।

अश्शूर

यह अश्‍शूर के राजा को बताता है।

जो मेरे क्रोध का लठ और मेरे हाथ में का सोंटा है! वह मेरा क्रोध है।

“"जो मेरे हाथों में एक हथियार की तरह होगा जिसे मैं अपना गुस्सा दिखाने के लिए इस्तेमाल करूंगा"

मैं भेजूँगा....उसको आज्ञा दूँगा

“मैं अश्‍शूर की सैना को भेजूंगा ...... मे उनको आज्ञा दूंगा”

मैं उसको एक भक्तिहीन जाति के विरुद्ध भेजूँगा, और जिन लोगों पर मेरा रोष भड़का है उनके विरुद्ध उसको आज्ञा दूँगा कि

"उन राष्ट्रों पर जो गर्व से भरें हुऐ है, जिन्होंने मुझे बहुत क्रोधित किया है"

और जिन लोगों पर मेरा रोष भड़का है

"जिस पर मैंने उन्हें सज़ा देने के बाद भी गुस्सा किया है"

छीन-छान करे

"उनके पास जो है सब कुछ लेने के लिए"

लूट ले,

लोगों को शिकार की तरह लेना।

उनको सड़कों की कीच के समान लताड़े।

“उनको पूरी तरह हराना”