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सामान्य जानकारी
परमेश्वर लगातार अश्शूर कि सैना का वर्नण कर रहा है जो कि नदी के समान है जो यहूदा को बहा देगी।
और वह यहूदा पर भी चढ़ आएगा, और बढ़ते-बढ़ते उस पर चढ़ेगा और गले तक पहुँचेगा;
अश्शूर कि सैना एक पानी के बहाव की तरह है। “अधिक से अधिक सेना आऐगी जैसे कि नदी का पानी गरदन तक बड़ जाता है।”
नदी
अश्शूर में फरात नदी। यह एक उपनाम है अश्शूर की सेना के लिए, जो कि फरात की नदी के रास्ते आऐंगे”
तेरा समस्त देश उसके पंखों के फैलने से ढँप जाएगा
संभव अर्थ हैं १) जैसे कि “नदी” उपनाम में उठते हैं, इसके “पंख” ऊपर बहते है और सूखी भूमी को ढक लेते है और २) यशायाह उपनाम को बदलता है और अब यहोवा को पंछी कहता है जो कि देश की रक्षा कर है, “ पर उसके खुले पंख ढक लेंगे”
इम्मानुएल
“इम्मानुएल नाम का अर्थ है; “परमेश्वर हमारे संग है”