hi_tn/isa/02/09.md

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सामान्‍य जानकारी

2: 9 में यशायाह ने याहवे से बात की। 2: 10-11 में यशायाह यहूदा के लोगों से बात करता है। दोनों बार वह एक कविता के रूप में बोलते हैं।।

मनुष्य झुकते, और बड़े मनुष्य नीचे किए गए है,

"परमेश्‍वर लोगों को शर्मिंदा कर देगा, और उन्हें एहसास होगा कि वे जिस पर भरोसा करते हैं वह बेकार है"

लोग

जानवरों के विपरीत मनुष्य।

मनुष्य

हर एक मनुष्य।

उनको क्षमा न कर!

“उनको क्षमा मत करो।“

चट्टान में घुस जा,

ऐसे स्थान हैं जहां कई बड़ी चट्टानें हैं जिनके बीच छिपना है।

मिट्टी में छिप जा।

गड्ढों में जो धरती में खोदे है।

यहोवा के भय के कारण

"यहोवा की भयानक उपस्थिति से दूर होने के लिए" या "यहोवा से क्योंकि तुम उससे बहुत डरोगे"

यहोवा के प्रताप

"राजा के रूप में उनकी महान सुंदरता और शक्ति" या "उनका शाही वैभव।"

आदमियों की घमण्ड भरी आँखें नीची की जाएँगी

"यहोवा सभी लोगों को शर्मिंदा करेगा क्योंकि उन्हें लगता है कि वे उससे बेहतर हैं“।

केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा।

"लोग केवल यहोवा ही की प्रशंसा करेंगे"

उस दिन

यह एक मुहावरा है। "उस दिन यहोवा सबका न्याय करता है"