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लूज।

यह एक शेहर का नाम है।

“सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ने कनान देश के लूज नगर के पास मुझे दर्शन देकर आशीष दी।

याकूब ने यूसुफ से कहा कि कनान देश में परमेश्‍वर ने उसे आशीष दी और उससे कहा।

आशीष।

यह परमेश्‍वर द्वारा किसी पे दया करना है।

4और कहा, ‘सुन, मैं तुझे फलवन्त करके बढ़ाऊँगा, और तुझे राज्य-राज्य की मण्डली का मूल बनाऊँगा, और तेरे पश्चात् तेरे वंश को यह देश दूँगा, जिससे कि वह सदा तक उनकी निज भूमि बनी रहे।’

यहाँ पे परमेश्‍वर ने याकूब को फलवन्‍त करने की,उसके वंश को बढ़ाने कि और उसे बिन बिन राज्‍यों क मूल बनाने की और उनको वे देश देने कि आशिष दि जो सदा तक उनका बना रहेगा।

सुन।

यह‍ शब्‍द यहाँ पे इसलिए इस्‍तेमाल हुआ की याकूब परमेश्‍वर कि बाते ध्‍यान से सुने।

मैं तुझे फलवन्त करके बढ़ाऊँगा।

इस वाक्‍य का यह अर्थ है कि परमेश्‍वर ने याकूब को बहुत सारे वंशज देने की आशिष दी।

और तुझे राज्य-राज्य की मण्डली का मूल बनाऊँगा।

मैं बहूत राज्‍यों में तेरे वंशज बनाऊगा।

वह सदा तक उनकी निज भूमि बनी रहे।’

सदा का अधिकार।