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याकूब ने फ़िरौन को आशीर्वाद दिया।
याकूब ने फ़िरोन के घराने को और उसके कामो को आशीश।
तेरी आयु कितने दिन की हुई है?
तुम्हारी आयु कितनी है।
मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी होकर अपना जीवन बिता चुका हूँ।
इसका अर्थ यह है की उसने अपनी 130 साल कि उमर में काफी जगाहो पर सफर किया।
मेरे जीवन के दिन थोड़े...मेरे बापदादे परदेशी होकर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।
याकूब यहाँ पे यह कहना चाह रहा है कि उसकी आयु अब्राम और ईजहाक के मुकाबले काफी शोटी है।
और दुःख से भरे।
याकूब ने अपने जिवन में काफी दुख और परेशनियों का अनुभव किया।