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830 B

दो सौ

“२००”

बीस… तीस… चालीस… दस

“२०…३०…४०… १०…”

और उनकी ऊटनियाँ

“और उनके जवान"।

इनको उसने झुण्ड-झुण्ड करके, अपने दासों को सौंपकर

"वह उन्हें छोटे झुंड में बाँटना चाहते है, और अपने सेवकों में से प्रत्येक एक झुंड पर धयान दे रहे है"।

और झुण्डों के बीच-बीच में अन्तर रखो

"हर झुंड दूसरे झुंड से एक दूरी पर यात्रा करते है“।