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परमेश्‍वर ने राहेल की भी सुधि ली,* और उसकी सुनकर

वाकयांश मे “सुधि ली” का अर्थ “याद करना” है। इसका मतलब यह नहीं कि परमेश्‍वर ने राहेल को भुला दिया है, इसका मतलब यह है कि वह उसके अनुरोध पर विचार कर रहा है। कि ”परमेश्‍वटर ने राहेल पर विचार किया और उसे वह दिया जो वह चाहती थी”।

“परमेश्‍वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है

परमेश्वर ने राहेल को अब शर्मिंदा महसूस नहीं होने दिया जैसे कि "शर्म" एक ऐसा वस्तु है जिसे व्यक्ति से दूर ले जा सकते है। अमूर्त संज्ञा "शर्म" के रूप में कहा जा सकता है,कि "परमेश्‍वर ने मुझे अब शर्मिदा महसूस नहीं होने दिया”।

उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा,

“यूसुफ नाम का अर्थ है ‘वह जोड़ सकते है“।

परमेश्‍वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”

राहेल के पहले बेटे उसकी दासी बिल्‍ह से थे।