hi_tn/gen/27/39.md

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उससे कहा,

“एसाव को कहा”।

“सुन,

यह इसहाक को आगे देने के लिऐ कहता है कि “ध्‍यान देना मैं तुम्‍हे बता रहा हूं कि मैं आगे कया करूँगा”।

ऊपर से आकाश की ओस उस पर न पड़े

"दूर तक उपजाऊ मिट्टी“।

तू………तू

ये घोषनाएं एकवचन में हैं और ये एसाव के लिए हैं लेकिन इसहाक जो कहता है वह एसाव के वंशजों पर भी लागू होने को एसाव दर्शाता है।

आकाश की ओस

“ओस” पानी की वो बूँदे हैं जो रात को पौधों पर पड़ती है।

तू अपनी तलवार के बल से जीवित रहे,

यहाँ “तलवार” हिंसा को दर्शाती है, जैसे कि “तुम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों की लूट-मार करोगे

तब उसके जूए को अपने कंधे पर से तोड़ फेंके।

यह एक गुरु होने के रूप में यदि व्यक्ति पर गुरु का नियंत्रण एक जुए की तरह है और व्यक्ति को ले जाना था, "आप अपने आप को अपने नियंत्रण से मुक्त हो जाएगा“।