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“पृथ्वी से हरी घास उगे।

यह एक आज्ञा है। परमेश्‍वर ने आज्ञा दी कि पृथ्वी से हरी घास उगे।

बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष।

वनस्पति, हर पौदा जो बीज उत्पन करते हैं। फलदाई - हर पेड़ जो फल उत्पन करते हैं।

पेड़

वह वृक्ष और पौदे जिनके तने कठोर नहीं बल्कि मुलायम होते हैं।

फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं

वह फलदाई पेड़ जिनके फलो के बीच मे ही उनके बीज भी होते हैं।

अपनी-अपनी के अनुसार

अपने जैसे पेड़ पौदों की किस्म को उत्पन्न करते हैं

वैसा ही हो गया

अत: “यह वाक्‍यांश यह दर्शाता है कि जो कुछ परमेश्वर ने होने को आदेश दिया और वैसा ही पृथ्वी पर हो गया।

परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

यह उन पेड़ पौदों को दर्शाता है जिन्हे परमेश्‍वर ने अपने एक‍ शब्द से ही उत्पन किया और वह उन्हे देख कर खुश हुआ।

तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ।

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

तीसरा दिन

यह ब्रम्हांड के अस्तित्व का तीसरा दिन था