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की दशा में उठा।

यह एक कहने का तरीका था की वह "शर्मिंदा होकर बैठा हुआ था"

फिर घुटनों के बल झुका, और अपने हाथ अपने परमेश्‍वर यहोवा की ओर फैलाकर कहा।

"अपने घुटनों पर बैठ गया और अपने हाथों को आकाश की ओर खोलते हुए अपनी बाहें फैला दी"

हम लोगों के अधर्म के काम हमारे सिर पर बढ़ गए हैं, और हमारा दोष बढ़ते-बढ़ते आकाश तक पहुँचा है।

"हमने दुष्ट कर्म किए हैं और हम बहुत दोषी हैं"