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तू फिर अपनी आँख उनकी ओर न लगाएगी।
यह किसी से मुँह मोरकर उसे फिर ना देखने का एक तरीका है। तु ना देखेगी।
न मिस्र देश को फिर स्मरण करेगी।
वाक्यांश “मिस्र देश को स्मरणम करना” उसके मिस्र में सीखे गए व्यभिचार के कामों को दर्शाता है। वह इन कामो के बारे अब कभी नही सोचेगी क्योकि उसने सीख लिया है कि यह सब काम उसे वे सभी अच्छी चीज़े नही दे सकते जो मिस्रियों, बाबेलियों और अश्शुरीयों के पास है। इसके बजाँए ये व्यभिचार के काम उसकी दण्ड का कारण बनेगे और वह उन्हे फिर कभी करना ना चाहेगी।