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यदि तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो

यह उस बात का हिस्‍सा है जो परमेश्‍वर ने मूसा से कहा था कि “मैं तुम्‍हारे साथ खुश हूँ”।(33:12)

हमारे अधर्म और पाप

यह शब्‍द “अधर्म“ और “पाप” का अर्थ एक ही है कि “हमारे सारे पाप”।

अपना निज भाग मानकर ग्रहण कर

कोई चीज जो किसी कै पास हमेशा के लिऐ होती है, उसके बारे मे बात की जाती है जैसे कि यह कुछ उन्‍हे विरासत मे मिला था इसी तरह से हमें उन लोगों के रुप मे ले लो जो तुम्‍हारें पास हमेशा के लिऐ है”।