घबराहत तब होती है जब कोई इतना भयभीत हो जाता है कि वह सामानय रुप से सोच भी ना सके।
स्पष्ट रुप मे कहा जा सकता है कि “कीचड़ से उनके रथ भर गऐ थे”।