hi_tn/est/05/07.md

1.3 KiB

मेरा निवेदन और जो मैं माँगती हूँ

शब्द “विनती" और “निवेदन" का एक ही अर्थ है। उसने शायद एक साथ इन शब्दों का इस्तेमाल बहुत औपचारिक रूप से और सम्मान से राजा को बोलने के लिऐ किया।

यदि राजा मुझ पर प्रसन्‍न है और मेरा निवेदन सुनना

“यदि राजा मुझ पर प्रसन्न हैं“

यदि राजा मुझ पर प्रसन्‍न है

“हे राजा, यदि आप मुझ से प्रसन्न है, और यदि यह आपको खुशी देता है”

तो राजा और हामान आएँ

“कृप्या आओ और हामान को अ़पने साथ लाओं।“

मैं राजा के इस वचन के अनुसार करूँगी।

एस्तेर ने राजा से कहा कि “और मैं तुम्हारे प्रश्‍न का उत्तर दूंगी।“