hi_tn/eph/04/31.md

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# सब प्रकार की कड़वाहट
“परमेश्वर तुममें से सब प्रकार का बैर भाव समाप्त कर दे” या “परमेश्वर घृणा को मिटा दे”।
# प्रकोप और क्रोध
“प्रकोप और क्रोध को साथ रखने पर क्रोध की पराकाष्ठा का बोध होता है”। “अनियंत्रित क्रोध”।
# निन्दा
“कठोर शाब्दिक अपमान”
# एक दूसरे पर कृपालु और करूणामय हो
“आपस में दया और कोमलता दर्शाओ” या “एक दूसरे के साथ अनुकंपा के साथ दया का व्यवहार करो”