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मन में भी श्राप न देना
" तुम्हारे विचारों में भी नहीं"
धनवान को अपने शयन की कोठरी में
"अमीर लोग जब अपनी कोठरी में होते हैं।" इसका अर्थ है कि तुम्हें किसी निजी स्थान पर होने पर भी धनवान लोगों को शाप नहीं देना चाहिए, जहां कोई और नहीं सुनेगा।
कोई आकाश का पक्षी ... उस बात को प्रगट कर देगा।
इन दो पंक्तियों का अर्थ एक ही बात से है अर्थात् लेखक एक पक्षी के रूपक का उपयोग यह कहने के लिए करता है कि लोग यह पता लगाएंगे कि तुमने कहा है एक ही रास्ता या कोई अन्य।