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525 B

धर्मी हो या दुष्ट, भले,

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शुद्ध या अशुद्ध,

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यज्ञ करने और न करनेवाले, सभी की दशा एक ही सी होती है

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जैसी भले मनुष्य की दशा ...वैसी ही पापी की दशा

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जैसी शपथ खानेवाले की दशा ... उसकी जो शपथ खाने से डरता है।

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