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धन और सम्पत्ति

इन दो शब्दों का अर्थ एक ही बात से है। अर्थात् वह पैसे और उन चीजों को दर्शाते हैं जो एक मनुष्य पैसे से खरीद सकता है।

उनसे आनन्द भोगने और उसमें से अपना भाग लेने और परिश्रम करते हुए आनन्द करने को शक्ति भी दी।

यह वाक्‍यांश होने और किसी के काम का आनंद लेने की क्षमता व्यक्त कर रहा है।

इस जीवन के दिन उसे बहुत स्मरण न रहेंगे।

यहां "वह" शब्द उस मनुष्य को दर्शाते है अर्थात् जिसे परमेश्‍वर ने उपहार दिया है और “उसे याद नहीं है।“

आनन्दमय रखता।

"चीजें जो उसके जीवनकाल के दौरान हुई हैं"

स्मरण न रहेंगे।

"व्यस्त रहो"