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तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना

बलिदान देना लेकिन परमेश्‍वर खिलाफ पाप करने से यह अधिक महत्वपूर्ण है परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के लिए मंदिर में जाना और सीखना,