hi_tn/ecc/03/19.md

328 B

मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं।

"मनुष्य जानवरों से बेहतर नहीं है"

कुछ बढ़कर नहीं; सब कुछ व्यर्थ ही है।

"सब कुछ बस छण भर के लिऐ है"