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मैंने अपना मन लगाया

मैंने अपना मन बनाया।

जो कुछ आकाश के नीचे किया जाता है।

इन दो वाक्यांशों का अर्थ एक ही बात है अर्थात् उन्होंने अध्ययन में जोर दिया।

मनुष्यों के लिये

"इंसान"

उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं।

सब कुछ जो लोग करते हैं।

व्यर्थ

"अस्थायी" या "बेकार"।अर्थात् लोग जो करते हैं वह वाष्प की तरह होता है क्योंकि यह टिकता नहीं है और बेकार होता है।

मानो वायु को पकड़ना है।

शिक्षक का कहना है कि लोग जो कुछ भी करते हैं वह हवा को पकड़ने या हवा को उड़ाने से रोकने की कोशिश करना।

जो टेढ़ा है, वह सीधा नहीं हो सकता, और जितनी वस्तुओं में घटी है, वे गिनी नहीं जातीं।

लोग उन चीजों को सीधा नहीं कर सकते जो मुड़ रहे हैं! अर्थात् वह गिन नहीं सकते कि क्या नहीं है!