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समान्‍य जानकारी

लेखक का प्राकृतिक क्रम बताना जारी है।

सब बातें परिश्रम से भरी हैं।

सब बातें परिश्रम से भरी होने मे कारन मनुष्य को थकाऊ हो जाता है। “सारा काम बोज लगने लगता है”

न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं।

“एक मनुष्य अपनी आँखों से देखकर संतुष्ट नहीं होता है।“

न कान सुनने से भरते हैं।

“जो मनुष्‍य के कान सुनते है वह उसको संतुष्‍ट नही करते”