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523 B

व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।

इन दो वाक्यांशों का अर्थ एक ही बात से है।

उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य ... क्या लाभ प्राप्त होता है?

"मनुष्य जाति को कोई लाभ नहीं होता ... सूरज के नीचे।"